सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2002 निर्णयानुसार समयपूर्व भंग हुई विधानसभा के मामले में 6 महीने के भीतर अगला सत्र बुलाने की संवैधानिक अनिवार्यता लागू नहीं -- एडवोकेट हेमंत
27 अगस्त को राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के निर्विरोध निर्वाचित घोषित होने के बाद प्रदेश कैबिनेट द्वारा राज्यपाल से विधानसभा भंग कराने की जा सकती है सिफारिश
चंडीगढ़ - शुक्रवार 16 अगस्त को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा हरियाणा विधानसभा के अगले आम चुनाव की घोषणा कर दी गई जिससे तत्काल प्रभाव से पूरे प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. हालांकि 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए अधिसूचना करीब तीन सप्ताह बाद 5 सितम्बर 2024 को जारी होगी जबकि 1 अक्टूबर को मतदान एवं 4 अक्टूबर को मतगणना निर्धारित है.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और विधायी एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार (9416887788) ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण संवैधानिक पॉइंट उठाते हुए बताया कि बेशक हरियाणा विधानसभा के अगले आम चुनाव की घोषणा कर दी गई है परन्तु चूँकि मौजूदा 14वी हरियाणा विधानसभा, जिसका कार्यकाल 3 नवम्बर 2024 तक है, एवं जिसका पिछला एक दिन का सत्र 5 माह पूर्व 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था जिसमें प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी ने प्रदेश में सत्ता सँभालने के अगले ही दिन सदन में विश्वास मत हासिल किया था, इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुपालना में मौजूदा प्रदेश विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन की अवधि का ही क्यों न हो, वह आगामी 12 सितम्बर 2024 से पहले बुलाना संविधान के उपरोक्त अनुच्छेद के अंतर्गत अनिवार्य है क्योंकि उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि विधानसभा सदन के दो सत्रों के मध्य 6 महीने का अंतर/अंतराल नहीं होना चाहिए.
जहाँ तक सत्र बुलाने के सम्बन्ध में और उसकी तारीख बारे फाइनल निर्णय लेने का विषय है, तो मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में शनिवार 17 अप्रैल को प्रदेश कैबिनेट की हुई बैठक में इस बारे में निर्णय नहीं लिया गया.
बहरहाल, यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसा कोई संवैधानिक रास्ता है जिससे आगामी 12 सितम्बर से पूर्व हरियाणा की मौजूदा नायब सिंह सैनी सरकार को वर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा का आगामी अर्थात मानसून सत्र बुलाने से छूट मिल सके, इस बारे में हेमंत का कानूनी मत है कि अगर 12 सितम्बर से पूर्व प्रदेश कैबिनेट की सिफारिश पर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा मौजूदा 14 वीं प्रदेश विधानसभा को समयपूर्व भंग कर दिया जाता है, तो आगामी सत्र बुलाने की आवश्यकता नहीं होगी. उन्होंने इस बारे में वर्ष 2002 के सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया जा चुका है कि समयपूर्व भंग हुई विधानसभा के मामले में 6 महीने में अगला सत्र बुलाने की संवैधानिक अनिवार्यता नहीं होती है.
इसी बीच उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि गत दो माह से हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट के उपचुनाव के लिए बीती 14 अगस्त से आगामी अगस्त तक नामांकन भरे जा सकते हैं जिनकी 22 अगस्त को जांच होगी, 27 अगस्त तक इच्छुक व्यक्तियों द्वारा उनकी उम्मीदवारी वापिस ली जा सकती है एवं अगर आवश्यकता हुई अर्थात 2 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हुए
तो 3 सितम्बर को मतदान करवाया जाएगा और उसी दिन वोटिंग के पश्चात मतगणना एवं परिणाम घोषित कर दिया जाएगा.
बहरहाल, क्योंकि राज्यसभा की उपरोक्त रिक्त सीट के उपचुनाव में केवल भाजपा प्रत्याशी का नामांकन होने की संभावना है , इसलिए उम्मीदवारी वापसी के अंतिम दिन अर्थात 27 अगस्त को ही उक्त राज्यसभा उपचुनाव के लिए पदांकित रिटर्निंग आफिसर ( आर.ओ.) साकेत कुमार द्वारा उस इकलौते उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा और इलेक्शन सर्टिफिकेट ( निर्वाचन प्रमाण पत्र) प्रदान कर दिया जाएगा.
निर्वाचित होने वाले राज्यसभा सांसद का कार्यकाल करीब डेढ़ वर्ष अर्थात अप्रैल, 2026 तक ही होगा क्योंकि रोहतक लोकसभा सीट से दो माह पूर्व निर्वाचित हुए लोकसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा, जिनके लोकसभा सांसद बनने से उपरोक्त राज्यसभा सीट रिक्त हुई है, उनका राज्यसभा कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक ही था, इसलिए उनकी शेष अवधि के लिए ही उक्त राज्यसभा उपचुनाव कराया जा रहा है.
बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया कि उक्त राज्यसभा सीट के उपचुनाव के दृष्टिगत आगामी 27 अगस्त के बाद अर्थात भाजपा प्रत्याशी के निर्विरोध राज्यसभा सांसद
निर्वाचित होने के पश्चात मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से की जा सकती है. प्रदेश विधानसभा के आगामी आम चुनाव घोषित होने के फलस्वरूप आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद वर्तमान नायब सैनी सरकार द्वारा राज्यपाल से मौजूदा हरियाणा विधानसभा समयपूर्व भंग करने की सिफारिश की जा सकती है. उसके बाद नायब सैनी ताजा विधानसभा आम चुनाव संपन्न होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर पद पर बने रह सकते हैं.
हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा हरियाणा के राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (आर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213(1) में प्रख्यापित (जारी) करवाए गये हैं जिसमें प्रदेश में कॉन्ट्रैक्ट (संविदा ) आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करने बारे एक अध्यादेश, प्रदेश के नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने बारे कुल तीन अध्यादेश और हरियाणा शामलात (सांझा) भूमि विनियमन (संशोधन) अध्यादेश शामिल है. इस सभी को प्रदेश के राज्यपाल द्वारा गत 14 अगस्त को स्वीकृति प्रदान की गयी थी जिनमें से कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा बारे अध्यादेश की तो 14 अगस्त को शाम को ही गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित हो गई थी जबकि शेष चार अध्यादेशों का 16 अगस्त (हालांकि आदर्श आचार संहिता लागू होने से पूर्व) प्रदेश सरकार के गजट में अधिसूचना के तौर पर प्रकाशन किया गया.
हेमंत ने बताया कि अगर मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग कर दिया जाता है, तो ऐसा होने से उपरोक्त 5 अध्यादेशों की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 4 अक्तूबर 2024 हरियाणा के विधानसभा आम चुनाव के नतीजों के बाद गठित 15 वीं हरियाणा विधानसभा के बुलाए गए पहले सत्र में उक्त 5 अध्यादेशों को नए सदन में विधेयक के तौर पर पारित करने के लिए प्रदेश की नई सरकार द्वारा पेश किया जा सकता है.